The overall purpose of the campaign is to advocate for early way of strong regulations on front-of-pack food labels (FoPL) in India in context of children, maternal and neo-natal health. https://pipal.in.net/
छान घोंट के: 60 फीसदी मौतों के पीछे छुपी दूसरी महामारी NCD पर बात करने का यही सही वक्त है!
जब मैं कोविड की चपेट में आया और सघन चिकित्सा के लिए 12 दिनों तक अस्पताल में मुझे रहना पड़ा, तब पता चला कि प्रोटीनयुक्त भोजन और पोषण रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ कोरोना से ग्रसित इंसान को सामान्य अवस्था में लाने मदद करता है। मेरा अपना अनुभव तो यही है।
इस संदर्भ में भारत की स्थिति को देखें, तो एक तरफ जहां बच्चे कुपोषण से मर रहे हैं, वही दूसरी तरफ मोटापा चिंता का विषय बन चुका है। ऐसे में मैं आपका ध्यान एक साइलेंट किलर- गैर-संचारी रोगों (नॉन कम्यूनिकेबल डिजी़ज-एनसीडी) की ओर आकर्षित करना चाहता हूं, जो भारत में रुग्णता और मृत्यु दर का प्रमुख कारण है। जैसा कि आप जानते हैं, चाहे ताजा भोजन हो या पहले से पैक किया हुआ डिब्बाबंद भोजन- वसा, नमक या चीनी में उच्च भोजन का अधिक सेवन अकसर मोटापे और एनसीडी के लिए प्रमुख जोखिम कारक होते हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की रिपोर्ट ‘इंडिया: हेल्थ ऑफ़ द नेशंस स्टेट्स’ के अनुसार, वर्ष 2016 में होने वाली कुल मौतों में गैर-संचारी रोगों का योगदान 61.8% था। गैर-संचारी रोग ऐसी दीर्घकालिक बीमारियां हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती हैं, जैसे- कैंसर, मधुमेह और हृदय रोग, जबकि संचारी रोग तेज़ी से संक्रमण करते हैं तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अतिशीघ्र फैलते हैं, जैसे- मलेरिया, टायफायड, चेचक, इन्फ्लुएन्ज़ा आदि।
रिपोर्ट के अनुसार, केरल, गोवा और तमिलनाडु में महामारी के संक्रमण अर्थात संचारी रोगों के कारण क्षेत्र में मृत्यु के मामले कम पाये गए जबकि मातृत्व, नवजात एवं पोषण संबंधी गैर-संचारी बीमारियां मृतकों की संख्या में वृद्धि कर रही हैं।
गैर-संचारी रोगों को दीर्घकालिक बीमारियों के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि ये लंबे समय तक बनी रहते हैं तथा ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते हैं।
गैर-संचारी रोग के जोखिम उम्र बढ़ने, अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, उच्च कोलेस्ट्रॉल तथा अधिक वज़न आदि के कारण बढ़ रहे हैं।
आमतौर पर ये रोग आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरण और जीवन-शैली जैसे कारकों के संयोजन का परिणाम होते हैं।
यह एक आम धारणा है कि बढ़ती आय के साथ आहार संबंधी व्यवहार, अनाज और अन्य कार्बोहाइड्रेट आधारित भोजन से फलों, सब्जियों, दूध, अंडे और मांस जैसे पोषक तत्त्वों से समृद्ध विकल्पों की तरफ झुक जाता है।
ऐसे खाद्य उत्पाद ऊर्जा-गहन (Energy-dense) और वसा, शर्करा तथा नमक की उच्च मात्रा से युक्त होते हैं जो इनके उपभोक्ताओं की NCDs और मोटापे के प्रति सुभेद्यता को बढ़ाते हैं।
गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और इन पर नियंत्रण हेतु वैश्विक कार्रवाई के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की योजना में चार मुख्य NCD शामिल किये गए हैं, जो कि निम्नलिखित हैं:
हृदयवाहिनी बीमारियाँ (Cardiovascular Diseases-CVD) जैसे-हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक
कैंसर
दीर्घकालिक श्वास संबंधी बीमारियाँ
मधुमेह (Diabetes)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हृदय संबंधी विकार, कैंसर और मधुमेह सहित गैर-संचारी रोग भारत में लगभग 61% मौतों का कारण बनते हैं।
इन बीमारियों के कारण लगभग 23% लोगों पर प्री-मैच्योर (समय से पहले) मौत का खतरा बना हुआ है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य का विषय हालांकि राज्य सूची के अंतर्गत आता है, केंद्र सरकार राज्य सरकारों के प्रयासों में पूरक का कार्य करती है।
Source: ORF
भारत में एनसीडी के बढ़ते प्रसार को संबोधित करने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) सभी डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के लिए फ्रंट ऑफ पैकेज लेबल्स (एफओपीएल) के लिए एक विनियमन पर सक्रिय रूप से विचार कर रहा है। देश में एफओपीएल विनियमन लाने का इससे बेहतर समय कोई नहीं होगा जब कोविड महामारी ने बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य के सार्वजनिक बहस के केंद्र स्तर पर ला दिया है, साथ ही हर भारतीय की कल्पना को पकड़ लिया है। बच्चों और युवा आबादी में बढ़ते मोटापे और एनसीडी के उच्च प्रसार को देश दूसरी महामारी के रूप में देख रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) बताता है कि फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग (एफओपीएल) राष्ट्रों के नागरिकों के लिए स्वस्थ भोजन विकल्प प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण नीति उपकरण है और दक्षिण एशिया के लिए पोषक तत्व प्रोफाइल मॉडल (एनपीएम) सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए एफओपीएल पर मार्गदर्शक सिद्धांत और ढांचा मैनुअल प्रदान करता है। एनपीएम परिभाषित करते हैं कि क्या किसी खाद्य उत्पाद में चीनी, नमक और वसा का अत्यधिक स्तर है और यह बताता है कि प्रत्येक पोषक तत्व के लिए महत्वपूर्ण सीमा क्या है।
अतः उद्योग के प्रभाव या फिर किसी प्रकार के प्रभाव से मुक्त होकर विशेषज्ञ यह तय करें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एनपीएम के क्षेत्रीय प्रारूप या अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम अभ्यास (Best Practices) में से एक देश में लागू हो।
Source: Daily Excelsior
पोषक तत्व प्रोफाइल मॉडल और फ्रंट ऑफ पैकेट लेबलिंग (एफओपीएल) विनियमन पर सरकारी विचार-विमर्श सहित सार्वजनिक चर्चा को आकार देने में सक्षम वातावरण बनाने के लिए हस्तक्षेप और जनता के बीच बहस बहुत जरूरी है। देश में एफओपीएल विनियमन में निम्नलिखित सिद्धांत सुनिश्चित करने के लिए हमारा सरकार और राजनैतिक दलों से अनुरोध है, जो भारत को बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग द्वारा निर्मित और विपणन किये गए स्वस्थ खाद्य उत्पादों को समर्थन और बढ़ावा देने में मदद करेगा।
पैकेज लेबलिंग (FOPL) सबसे स्पष्ट तरीके से सटीक जानकारी के साथ उपभोक्ता को सशक्त बनाये और उपभोक्ता को उन खाद्य उत्पादों के बारे में जागरूक करना चाहिए जिनमें वसा, चीनी और नमक की मात्रा अधिक होती है।
एक पोषक तत्व प्रोफाइल मॉडल को शामिल करें जो पैकेज भोजन के माध्यम से नमक, चीनी और वसा की उच्च खपत को सीमित करता हो, जिससे बच्चों और युवा आबादी सहित जनता के लिए स्वस्थ जीवन को स्थापित करने में मदद मिलती है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग व डिब्बा बंद भोजन से जुड़े उद्योग धंधे के विकास के खिलाफ एक विज्ञान आधारित प्रभावी एफओपीएल (FOPL) विनियमन नहीं देखा जाना चाहिए। हम दृढ़ता से मानते हैं कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग महत्वपूर्ण है, वास्तव में देश के मजबूत आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण घटक है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग रोजगार के अवसर पैदा करके, अधिक विदेशी मुद्रा लाकर और किसान की आय को बढ़ाने के साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमारा मानना है कि एफओपीएल देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को स्वस्थ भोजन की मांग में खड़ा कर उनके बाजार को मजबूत करने में मदद करेगा।
यह भारत में बनाया गया अनूठा अवसर होगा, जो भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को आगे बढ़ाने और अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगा। भारत को इस मोर्चे पर सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक के रूप में लाने के लिए हम सभी को दबाब बनाना जरूरी है।
Celebrating Partnership: A Step Towards a Healthier World Date: February 22, 2024 Author: Lenin Raghuvanshi, Chief Functionary/CEO, JanMitra Nyas Dear Advocates for Health, I am delighted to share with you the culmination of a significant milestone in our journey towards promoting cardiovascular health and protecting the well-being of children and mothers. Today, I received a letter from Ms.Pamela Sumner Coffey jee, Vice President of Global Operations at Tobacco-Free Kids Action Fund, confirming the closeout of our project, "Consolidating collective voices for strong FoPL regulation to protect child and maternal health." First and foremost, I extend my heartfelt gratitude to the Tobacco-Free Kids Action Fund, particularly to Ms. Pamela Sumner Coffey jee and the entire team, for their unwavering support and guidance throughout the duration of this project. Your belief in our vision and your commitment to improving global health have been instrumental in driving our efforts for...
On February 7, 2024, in Patna , a significant public dialogue took place at the Kasturba Gandhi Assembly Hall within the premises of the Gandhi Museum. The event, which saw participation from 85 individuals, was organized by a coalition consisting of the Peoples’ Vigilance Committee on Human Rights (PVCHR), People’s Initiative for Participatory Action for Food Labelling (PIPAL), All India Hawkers Forum, Bandi Adhikar Andolan, and Indian Roti Bank. The primary focus of this gathering was to advocate for "Warning label Front-of-Package Labeling" as a means to address the rising concerns of non-communicable diseases, malnutrition, and obesity. In a historic move, all political parties in Bihar have come together to endorse the Patna Declaration, a significant step towards safeguarding children's health by advocating for Front-of-Package Labeling (FOPL) on packaged food items. This groundbreaking agreement, signed on February 7, 2024, marks a pivotal moment in the fight aga...
Today, we saw on the NHRC website (Track Case number: 4227/90/0/2021 ) that on March 21, 2024, the honorable commission called for additional information from the Joint Director of the Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI), Science and Standards (S&S) Division. The proceeding of the order is as follows: Background of the Complaint The complainants, via a complaint dated September 14, 2021, alleged that Non-Communicable Diseases (NCDs) are the major cause of morbidity and mortality in India. They pointed out that packaged food high in salt, fat, and sugar poses significant risk factors for obesity and NCDs. Initial Commission Action Upon consideration of the matter on May 31, 2023, the Commission directed that the recommendations made by the scientific panel, as well as the Indian Institute of Management (IIM), Ahmedabad, be sent to the Director, Regulatory Compliance Division, FSSAI, New Delhi. The request was to consider these recommendations and commun...
Comments
Post a Comment