भारतीय खाद्य उद्योग फ़्रंट पैक पर चेतावनी लेबल के लिए है तैयार

15 अगस्त 2022, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की खपत में आशातीत वृद्धि के साथ, भारत विज्ञान समर्थित फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग (एफओपीएल) को अपनाने के दिशा में अग्रसर है। प्रमुख उद्योग प्रतिनिधियों और खाद्य उत्पाद निर्माताओं का मानना है, कि वैश्विक बाजार में छोटे और मझोले औद्योगिक (एसएमई) इकाइयों द्वारा उत्पादित खाद्य पदार्थों की बढ़ती लोकप्रियता भारत के परंपरागत खाद्य पदार्थ, जो सेहतमंद भी है, के निर्यात में वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। निर्यात को बढ़ाने की दृष्टि से, इस अवसर को मजबूत और निर्यात क्षमता को सुविधाजनक बनाने के लिए, खाद्य उत्पादों के लिए चेतावनी लेबल आधारित एफओपीएल को अपनाना, भारत के लिए एक प्रभावी नीतिगत फैसला होगा।


खाद्य उद्योग कल्याण संघ (FIWA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गिरीश गुप्ता ने मानवाधिकार जननिगरानी समिति को पत्र लिखकर कहा कि कहा कि भारतीय खाद्य पदार्थ को वैश्विक बाजार के समकक्ष बनाने के लिए विश्व स्तर पर सबसे प्रचलित एफओपीएल को अपनाने की आवश्यकता है. 
उन्होंने आगे कहा "एफओपीएल (FOPL) देश में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री की काफी मदद करेगा, जिससे बाजार अथवा डिमांड स्वस्थ खाद्य पदार्थों की तरफ स्थानांतरित होगा। यह भारत के लिए एख अनोखा अवसर होगा, जो भारतीय फूड प्रोसेसिंग उद्योग को आगे बढ़ाने और अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगा। 

भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य और पेय पदार्थों चलन तीव्र गति से बढ़ रहा है। यूरोमॉनिटर के वर्ष 2006-2019 बिक्री के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पैकेज्ड फूड और सॉफ्ट ड्रिंक का खुदरा बाजार सिर्फ 13 वर्षों में 42 गुना बढ़ गया है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, जिसे भारत सरकार रोजगार सृजन के लिए एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में प्रोत्साहित कर रही है, हालिया वर्षों में यह $ 200 अरब का कारोबार कर रही है और इसके $ अरब बिलियन तक बढ़ने की संभावना है। भारतीय खाद्य बाजार का एक तिहाई हिस्सा 'प्रसंस्करण उद्योग' का है। 
एसएमई का एक बड़ा हिस्सा देश के लोकप्रिय देसी स्नैक्स और कन्फेक्शनरी का उत्पादन लघु और मध्यम खाद्य निर्माताओं द्वारा किया जाता है।सरकार भी लघु और मध्यम खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की संभावनाओं के उपयोग के लिए विभिन्न राज्यों में फूड पार्कों को प्रोत्साहित कर रही है और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात को बढ़ाने का प्रयास कर रही है। 10900 करोड़ रुपये के वित्तीय बजट के साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLISFPI), भारत में वैश्विक मानक के साथ खाद्य उत्पादन करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय खाद्य ब्रांडों स्थापित करने में सहयोग करेगा।

मानवाधिकार जननिगरानी समिति के संस्थापक व संयोजक डॉ. लेनिन रघुवंशी ने कहा,"जैसा कि भारत "आजादी का अमृत महोत्सव - स्वतंत्रता के 75 वर्ष मना रहा है", खाद्य सुरक्षा, पोषण और देश का स्वास्थ्य शीर्ष चिंताओं के रूप में उभर रहा है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI), भारत के लिए बहुप्रतीक्षित FOPL विनियमन पर विचार कर रहा है। जबकि एफएसएसएआइ (FSSAI) ने 'हेल्थ स्टार रेटिंग' के लिए अपनी प्राथमिकता व्यक्त की है, जो विशेषज्ञों का कहना है कि यह उपभोक्ताओं के लिए भ्रामक होगा। डॉक्टरों और वैज्ञानिक समुदायों के अनुसार भारत को वैश्विक मानकों के अनुसार ‘'चेतावनी लेबल' को अपनाना चाहिए जो कि न केवल गंभीर बीमारी को रोकने के लिए जरूरी है, बल्कि तेजी से बढ़ते खाद्य बाजार के बेहतर भविष्य के लिए भी फ़ायदेमंद है।”

भारतीय खाद्य उद्योग, जो इस पूरी प्रक्रिया में मुख्य साझेदार हैं, एक ऐसे लेबल को अपनाने के लिए तैयार हैं जो देश के लिए सबसे अच्छा है और उपभोक्ता अनुकूल लेबल है। इससे भारतीय परिवारों को स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद मिलेगी और साथ ही हमारे उद्योग भी ज़्यादा मुनाफ़ा और नौकरी सृजित कर सकेंगे।

Warning labels based FOPL regulation  will boost India’s packaged food export

 Representative from food industry supports mandatory warning label FOPL 

15 th August 2022: With consumption of ultra-processed packaged foods soaring to unprecedented levels, India is prioritizing the adoption of a science backed Front of Pack Labeling (FOPL). leading industry representatives and food manufacturers believe that  a global best practice FOPL would be a major boost for increasing exports of packaged food products especially those produced by MSME units in the global market.

 Full recognition of the need to embrace global best practice FOPL to make Indian food at par with food in the global market, Dr. Girish Gupta, National President, Food Industries Welfare Association (FIWA), said, “FOPL will significantly help food processing industry in the country as market or demand shift toward healthy food, this will be unique opportunity created in the India which help leapfrogging Indian food processing industry and attract more foreign investment.”

India has one of the highest growth rates for ultra-processed food and beverages – items high in added sugar, salt and additives, besides being ultra-processed. According to Euromonitor sales data from 2006-2019, the retail value of packaged junk food and soft drinks in India grew by 42 times in just 13 years. The food processing industry, which the Govt of India encourages as a major sector for employment generation, is currently worth $ 200 billion and expected to grow to $ 500 billion. With 32% of the Indian food market covered by the ‘processing industry,’ the massive MSME sector manufacturing delectable and highly popular desi snacks and confectionery, is a key driver of this exponential growth. Government is incentivizing food parks for utilization of processing industry potential and also has an eye on enhancing the export of processed foods. The Production Linked Incentive Scheme for Food Processing Industries (PLISFPI) with a fiscal outlay of Rs. 10900 crores, encourages global standard food manufacturing companies in India and supports Indian food brands for export in the international market.

 “India can become a trend setter if it goes ahead and adopts ‘high in’ style warning labels as suggested by AIIMS, should be chosen as the label design on the front of food packets to provide clear information about nutrients such as fat, sugar or salt,” Said Mr Ramakant Jaiswal from Vaypari Ekta Partinidhi Mandal.

India sees an alarming rise of diet related diseases not only among adults but also a sharp increase in childhood obesity. Indian consumers will spend $ 6 trillion by 2030 on processed and branded food products. With ultra-processed food taking over the dietary preferences and buying decisions of consumers, the food industry is taking cognizance of the critical role that powerful and simple to understand warnings on food packets, can play. 

Affirming industry’s readiness support, Mr Ankur Sighal, National President of Bhartiya Vyapar Mandal , said, “We welcome the idea of a strong FOPL that will help consumers quickly understand and identify healthy foods. Because this initiative will not only boost business but millions of consumers of the country will get health benefits, which will reduce non-communicable diseases.” 

Dr. Lenin Raghuvanshi from PVCHR, said, ``As India observes “Azadi Ka Amrit Mahotsav – celebrating 75 years of independence”, food safety, nutrition and the nation’s health are emerging as top concerns. Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI), is deliberating on a much-awaited FOPL regulation for India. While FSSAI has expressed a preference for ‘health stars rating’ which experts say would be misleading for consumers, doctors and scientific communities say that India should adopt ‘warning labels’ - the global best standard, not just for its staggering disease burden, but also to ensure its exponentially growing food market is ready for a healthier future.

The Indian food industry, who are the key stakeholders, are ready to adopt a label that is consumer friendly and best for the country, that can help families make healthier choices while we increase profits and jobs in our industry. 





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